मुळ गाणे———-
पूछो ना कैसे मैने रैन बिताई
माझी कल्पना———
पुछो ना कैसे मैने नयन लगाई
इक पल जैसे, इक दिन बीता
दिन बीते मोहे नींद न आयी
पुछो ना कैसे मैने नयन लगाई
ना कहीं हलचल ना कहीं बातें
हंसीके प्यासे मेरे नयन बिचारे
सुभंकी आस भी नतिजा ना लायी
पुछो ना कैसे मैने नयन लगाई
इक जले दुष्मन इक साथी मेरा
फिरभी न जाये मेरे दिलका सहारा
तड़पत तरसत रैन गंवायी
पुछो ना कैसे मैने नयन लगाई
श्रीकृष्ण सामंत
स्यान होझे कलिफोरनीया
One Comment
Na Kahi hulchal na Kahi Batien, hasi ke paas mere Nayan bechare , wah bahut khub.